जसवंतगढ़ जिला संघर्ष समिति: उत्तराखंड में एक नए जिले के लिए आंदोलन
जसवंतगढ़ जिला संघर्ष समिति: उत्तराखंड में एक नए जिले के लिए आंदोलन
जसवंतगढ़ जिला संघर्ष समिति उत्तराखंड में एक जमीनी संगठन है, जो “जसवंतगढ़” नामक एक नए जिले के निर्माण की वकालत कर रहा है। प्रस्तावित जिला पांच ब्लॉकों को मिलाकर बनाया जाएगा: नैनीडांडा, रिखणीखाल, बीरौखाल, पोखड़ा और थलीसैंण। यह पहल प्रशासनिक चुनौतियों को हल करने, शासन में सुधार लाने और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की जा रही है, जिससे इन ब्लॉकों को एक एकीकृत प्रशासनिक इकाई के तहत लाया जा सके।
जसवंत सिंह रावत भारतीय सेना के एक महान सिपाही थे, जिन्हें 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान उनकी अद्वितीय बहादुरी के लिए एक नायक के रूप में याद किया जाता है। उनका जन्म 1941 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के बैर्यूं गांव में हुआ था। उनकी वीरता और बलिदान ने उन्हें देशभक्ति और साहस का एक अमर प्रतीक बना दिया है।
नुरानांग की लड़ाई (1962)
जसवंत सिंह रावत भारतीय सेना की 4 गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट के एक राइफलमैन थे। युद्ध के दौरान उन्होंने नुरानांग की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो अरुणाचल प्रदेश (तत्कालीन नेफा) में लड़ी गई थी। इस लड़ाई में उन्हें और उनके साथियों को चीनी सेना के भारी हमले के खिलाफ अपने मोर्चे की रक्षा करने का काम सौंपा गया था।
जसवंत सिंह ने दो स्थानीय मोनपा लड़कियों, सेला और नूरा, के साथ मिलकर एक रणनीतिक रक्षा योजना बनाई और तीन दिनों तक चीनी सेना को आगे बढ़ने से रोके रखा। गुरिल्ला रणनीति और अदम्य साहस का उपयोग करते हुए, उन्होंने दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाया।
यहां तक कि जब उनके साथी शहीद हो गए, तब भी जसवंत सिंह ने अकेले लड़ाई जारी रखी। उन्होंने कई हथियारों का उपयोग करके दुश्मन को यह भ्रम दिया….